दिवाली 2020 में नवंबर 14 को सम्पूर्ण देश में मनाई जाएगी। दीपावली का त्यौहार सबसे पवित्र और जगमगाता हुआ त्यौहार है जिसे सभी लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन हर कोई अपने-अपने घरों की साफ सफ़ाई करता है और घर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। दीपावली के दिन हर किसी के घर में माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है और इस दिन लोग अपनी दुश्मनी भुलाकर भाईचारे का संदेश देते हैं। लोग ऐसा मानते हैं कि दिवाली के दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने पर धन और वैभव की देवी माँ लक्ष्मी खुश होकर आशीर्वाद के रूप में सभी के घरों में धन की वर्षा करती हैं। इस पावन पर्व को सिर्फ छोटे बच्चे ही नहीं बल्कि बुजुर्ग भी हर्षोल्लास से मनाते हैं। शायद आपको जानकर हैरानी हो लेकिन दीपावली का त्यौहार टोबागो, सिंगापुर, सूरीनम, नेपाल, मॉरीशस, गुयाना, त्रिनाद, श्रीलंका, म्यांमार, मलेशिया और फिजी जैसे देशों में भी मनाया जाता है। इसे देखते हुए ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में संभव है की दीपावली का ये प्रकश पर्व सम्पूर्ण विश्व में भी मनाया जाने लगे।
जानकारी के लिए आपको बता दें, कि दिवाली का ये पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन और प्रदोष काल के दौरान मनाया जाता है, क्योंकि उस दिन अँधेरा अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है लेकिन लोग दीप जलाकर पूरे जग में उजाला कर देते हैं। दीपावली के इस त्यौहार पर एक कहावत बहुत लोकप्रिय है जो हर बच्चे की जुबां पर होती है “जग मग-जग मग दीप जल उठे चमक उठी है रजनी काली।” अगर ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो उनका कहना है कि यदि प्रदोष काल में दो दिन तक अमावस्या तिथि नहीं आती है तो पहले दिन ही दिवाली मनाई जानी चाहिए।
दिवाली 2020 (Diwali 2020) पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त | |
दिनांक | 14 नवंबर 2020 |
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त | 17:30:10 से 19:26:01 तक |
अवधि | 1 घंटे 55 |
प्रदोष काल | 17:27:47 से 20:07:03 तक |
वृषभ काल | 17:30:10 से 19:26:01 तक |
सूचना: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है।
ऐसा माना जाता है कि अमावस्या की इस रात को माता लक्ष्मी स्वयं पृथ्वी लोक पर आती हैं और हर घर में अपना कदम रखती है। ऐसे में माता लक्ष्मी की पूजा के साथ ही इसकी सही विधि का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए।
अगर पुराणों के आधार पर बात करें तो दिवाली का ये पर्व इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन प्रभु श्रीराम लंकापति रावन का वध करके और चौदह साल का वनवास काटकर अयोध्या नगरी वापिस आये थे और लोगों ने घी के दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। दिवाली का पर्व दशहरे से ठीक 20 दिन बाद आता है। इस त्यौहार से कई और भी पौराणिक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं जिसमें से एक ये भी है कि “नरकासुर नामक राक्षस अपनी अलौकिक शक्तियों के चलते देवताओं को बहुत परेशान करता था, जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर दिया। इसलिए इस दिन को चतुर्दशी के नाम से भी पुकारा जाने लगा था।”
अगर ज्योतिषी की माने तो इस दिन सोने की खरीदारी करना शुभ माना जाता है क्योंकि इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है। वैसे इस दिन बाजारों में भी अलग ही रौनक देखने को मिलती है। हर कोई पहले से ही सोच कर बैठा होता है कि वह दिवाली पर किस वस्तु की ख़रीददारी करेगा। ज्यादातर खरीददारी इसलिए भी देखने को मिलती है कि क्योंकि कई चीजों पर भारी छूट भी मिल जाती है। ज्योतिषियों और विख्यात पंडितों के अनुसार दिवाली के इस दिन सूर्य और चंद्रमा शुभ और उत्तम फलकारक होते है और तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में स्थित होते हैं।
आप सभी को हिंदीकुंडली की तरफ से दीपावली के इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं !