बिहू 2020 दिनांक और महत्व

बिहू 2020 पर्व असम राज्य का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहारों में से एक है। इस पर्व के प्रति यहाँ के लोग गहरी आस्था रखते है। मान्यता है कि इस त्योहार के साथ ही असम में नये साल की शुरुआत होती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल 2020 में बिहू 15 जनवरी को देशभर में मनाया जाएगा। देश के कई राज्यों में मनाए जानें वाले इस त्योहार को मुख्य रूप से किसान वर्ग को समर्पित किया जाता है। शायद इसलिए ही इस त्योहार को फसलों का त्योहार कहा जाता है। इस पर्व के दौरान ही देशभर के किसान अपनी नई फसलें काटते हैं।

बिहू 2020 दिनांक और महत्व

बिहू 2020: इस पर्व का महत्व

​बिहू का त्यौहार मुख्य रूप से फसलों का त्योहार होता है। इस पर्व पर खासतौर पर आपको घरों के आंगन में रंगोली बनी नज़र आएगी। इस दिन घर में बनने वाले हर पकवान नई फसलों से ही बनाए जाते हैं। महिलाएं और पुरुष इस दिन अपनी-अपनी पारंपरिक पोशाकें पहनकर लोकगीत गाते हैं। इस पर्व की सबसे अहम बात ये होती है कि ये एक दिन का नहीं, बल्कि सात दिनों का त्योहार होता है जिसमें हर दिन अपना अलग महत्व रखता है। विशेषता की बात करें तो इस पर्व वाले दिन हर कोई सुबह जल्दी उठता है और कच्ची हल्दी और उड़द की दाल के पेस्ट से ही स्नान करता है। इस तरह नहाने से व्यक्ति का शुद्धिकरण होता है जिसके बाद लोग इस दिन नये कपड़े पहनकर घर के बड़ों का आर्शीवाद लेते हैं।

इस पर्व पर घर पर आए हर मेहमान को भोजन खिलाना, गले मिलकर बधाई देना और एक दूसरे को तोहफा देना विशेष परंपरा रूप से किया जाता है। बिहू का दूसरा बड़ा महत्व है कि इस दिन जमीन पर उस साल की बारिश की पहली बूंदें पड़ती हैं और इस तरह पृथ्वी नए रूप से सजी नज़र आती है। इस पर्व से फ़सलों की ही नहीं बल्कि जानवर, जीव-जंतु एवं पक्षियों की भी नई जिंदगी शुरू होती है। इस मौके पर युवा लड़के और लड़कियाँ साथ-साथ ढोल, पेपा, गगना, ताल, बांसुरी इत्यादि के साथ अपने पारंपरिक परिधान में एक साथ बिहू नृत्य करते हैं।

बिहू 2020: बिहू का ज्योतिषी महत्व

ज्योतिषी दृष्टि से भी ये पर्व बेहद ख़ास होता है क्योंकि इस दिन ही सूर्य का मेष में गोचर होता है, इसलिए इसे ही नये सौर कैलेंडर की शुरुआत का दिन माना जाता है। यह पर्व देशभर में साल में तीन बार यानी तीन बिहू के रूप में मनाया जाता है:-

  • रंगाली बिहू: सबसे पहले रंगाली बिहू या बोहाग बिहू मनाया जाता है। जिसे फसल बुबाई की शुरूआत का प्रतीक माना गया है। इसलिए ही कहा जाता है कि इस त्यौहार से नए वर्ष का शुभारंभ होता है।
  • भोगाली बिहू: रंगाली के बाद आता है भोगाली बिहू या माघ बिहू। जो फसलों के काटने का समय होता है। इसलिए इसे कई राज्यों में फसल कटाई का त्‍योहार भी कहते हैं।
  • कांगली बिहू: तीसरा और अं​त में आता है काती बिहू या कांगली बिहू। जो शरद ऋतु का एक मेला है। इसे कई लोग मेला पर्व भी कहते हैं।

बिहू 2020: बिहू के पारंपरिक पकवान

बिहू खासतौर पर असम का पर्व है इसलिए इस दिन बनने वाले पकवान भी वहां के लोगों के स्वाद से संबंधित होते हैं। बिहू के पकवान लोग बड़े चाव से मिलकर खाते हैं। इस​ दिन बनाए जानें वाले पकवानों में सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध है- खार, आलू पितिका, जाक, मसोर टेंगा और मांगशो खास होता है। इन सब पकवानों को बनाने की विधि भी हर राज्य में अलग-अलग होती है, जिससे इसके स्वाद में भी बदलाव आ जाता है।

  • खार में जहां क्षारीय तत्व मिलाया जाता है और पपीते के साथ-साथ जले हुए केले के तने का इस्तेमाल किया जाता है।
  • तो वहीं आलू पितिका को उबले हुए आलू से बिहार के चोखें की तरह बनाकर तैयार किया जाता हैं। इसमें उबले आलू के साथ प्याज, हरी मिर्च, हरा धनिया, नमक और सरसों का तेल डाला जाता है। जिससे इसका स्वाद चटपटा हो जाता है। इसे वहां के लोग चावल के साथ मिलाकर खाते हैं।
  • जाक यानी साग होता है, जो हरी पत्तेदार सब्जियों से विशेष रूप से इस दिन बनता है। यह शरीर के लिए भी बहुत अच्छा होता है।
  • मसोर टेंगा असम की मशहूर मछली डिश है। इसका स्वाद थोड़ा खट्टा होता है। क्योंकि इसे बनाने के लिए नींबू, कोकम, टमाटर, हर्ब्स, आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसे चावल और रोटी दोनों के साथ खाया जाता है।
  • मांगशो मटन करी डिश है। जिसे बच्चे से लेकर बड़े तक हर कोई बड़े चाव से खाता है। असम में इसे लूची यानी कि चावल के पुलाव के साथ खाया जाता है।

हम उम्मीद करते हैं कि बिहू से संबंधित हमारा ये लेख आपको पसंद आया होगा। हमारी ओर से आप सभी को बिहू पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं !