सूर्य ग्रहण 2020 - Surya Grahan 2020

सूर्य ग्रहण 2020 की मदद से आप जानेंगे वर्ष 2020 में घटित होने वाले सभी सूर्य ग्रहण की तारीख़े, ग्रहण के प्रभाव, उनकी धार्मिक मान्यता, साथ ही उनसे जुड़ी हर छोटी-बड़ी बातें। आज आधुनिक विज्ञान भले ही सूर्य ग्रहण को महज एक खगोलीय घटना बताता रहा हो, लेकिन पौराणिक काल से ही वैदिक ज्योतिष में ग्रहण को धरती पर मौजूद हर प्राणी में होने वाले बड़े परिवर्तन के पीछे का कारक माना जाता रहा है। इसी लिए भी सूर्य ग्रहण 2020 को लेकर अक्सर हमारे मन में इससे जुड़े कई तरह के सवाल आते हैं। वैसे ये सवाल आना भी लाज़मी ही है, क्योंकि ग्रहण को लेकर हमारे मन में एक अजीब सा भय रहता है, भले ही फिर वह सूर्य ग्रहण को लेकर हो या फिर चंद्र ग्रहण को।


आपकी इन्ही ज़रूरतों को समझते हुए आज हम अपने इस लेख ‘सूर्य ग्रहण 2020’ में आपको इस वर्ष 2020 में पड़ने वाले सभी सूर्य ग्रहणों के संदर्भ में विस्तार से बताएँगे, और सूर्य ग्रहण को लेकर आपके हर सवालों के उत्तर भी हम आपको देने का प्रयास करेंगे। तो चलिए जानते हैं कि इस वर्ष घटित होने वाले सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) का समय व तारीख क्या होगी, उनकी दृश्यता कहाँ-कहाँ होगी, उसका प्रभाव आपके जीवन पर कैसे पड़ेगा और साथ ही उनका सूतक कहाँ-कहाँ माननीय होगा।

वैदिक शास्त्र में ये भी अक्सर देखा गया है कि सूर्य ग्रहण को लेकर मनुष्य को कई प्रकार के विशेष नियम बताए गए हैं। तो चलिए इस लेख में हम आपको ये भी समझाने का प्रयास करेंगे कि सूर्य ग्रहण के दौरान हमें विशेष तौर पर किन बातों का मुख्य ख़्याल रखना चाहिए और साथ ही साथ सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए हमें कौन कौन से उपाय करने चाहिए।

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वर्ष 2020 में पड़ने वाले सूर्य ग्रहण

जैसा हमने आपको पहले ही ऊपर बताया कि विज्ञानानुसार सूर्य ग्रहण महज एक खगोलीय घटना है, जो हर साल घटित होती है। अगर इनकी संख्या की बात करें तो उसमें उतार-चढ़ाव हमेशा बना रहता है और इसी कारण इस वर्ष, 2020 में मुख्य तौर से सूर्य ग्रहण दो बार घटित होगा।

  • पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लग रहा है, जो कि वलयाकार होगा।
  • वहीं साल का दूसरा सूर्य ग्रहण वर्ष के अंत में 14 दिसंबर को लगेगा, जो पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा।

अगर 2020 के पहले सूर्य ग्रहण की दृश्यता की बात करें तो, ये सूर्य ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। साथ ही भारत के अलावा ये दक्षिण-पूर्व यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिक तथा दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश हिस्से में भी दृश्य होगा।

जबकि 14 दिसंबर को घटित होने वाला दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। ये ग्रहण केवल अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिणी भाग, साउथ अमेरिका के अधिकांश भाग, प्रशांत महासागरीय क्षेत्र, अटलांटिक तथा हिन्द महासागर के अलावा अंटार्टिका में ही दृश्य होगा।

2020 में होने वाले सूर्य ग्रहण का समय

पहला सूर्य ग्रहण 2020
दिनांक सूर्य ग्रहण प्रारंभ सूर्य ग्रहण समाप्त दृश्य क्षेत्र
21 जून 09:15:58 बजे से 15:04:01 बजे तक भारत, दक्षिण-पूर्व यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका तथा दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश भाग

सूचना: उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय समयानुसार है। इस कारण ये सूर्य ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। इसलिए भारत में इस सूर्य ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक भी मान्य होगा।

पहला सूर्य ग्रहण 21 जून 2020

  • वर्ष का पहला वलयाकार सूर्य ग्रहण साल के मध्य में 21 जून 2020 को लगेगा।
  • हिन्दू पंचांग के अनुसार इस ग्रहण का समय रविवार की सुबह 21 जून, को 09:15:58 बजे से दोपहर 15:04:01 बजे तक होगा।
  • हिन्दू पंचांग की मानें तो वर्ष 2020 का पहला सूर्य ग्रहण विक्रम संवत 2075 में पौष माह की अमावस्या को घटित होगा जिसका प्रभाव मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में सबसे ज़्यादा दिखेगा।
  • इस सूर्य ग्रहण का दृश्य क्षेत्र भारत के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका तथा दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश भाग होंगे।
  • चूँकि भारत में भी यह सूर्य ग्रहण दिखाई देगा, इसलिए यहाँ इसका सूतक प्रभावी होगा।
  • वलयाकार सूर्य ग्रहण उस स्थिति में होता है जब चाँद सामान्य की तुलना में धरती से दूर हो जाता है। जिस कारण उसका आकार इतना नहीं नज़र आता कि वह पूरी तरह सूर्य को ढक सके। इसलिए चाँद के बाहरी किनारे पर सूर्य रिंग यानी अंगूठी की तरह काफ़ी चमकदार नजर आता है, जिसे वलयाकार सूर्यग्रहण कहते है।

दूसरा सूर्य ग्रहण 2020
दिनांक सूर्य ग्रहण प्रारंभ सूर्य ग्रहण समाप्त दृश्य क्षेत्र
14-15 दिसंबर 19:03:55 बजे से 00:23:03 बजे तक अफ्रीका महाद्वीप का दक्षिणी भाग, साउथ अमेरिका का अधिकांश भाग, प्रशांत महासागरीय क्षेत्र, अटलांटिक तथा हिन्द महासागर और अंटार्टिका

सूचना: उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय समयानुसार है। इस कारण ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए भारत में इस सूर्य ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य नहीं होगा।

दूसरा सूर्य ग्रहण 14-15 दिसंबर 2020

  • वर्ष 2020 का दूसरा व अंतिम सूर्य ग्रहण एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा, जो 14-15 दिसंबर को घटेगा।
  • हिन्दू पंचांग की माने तो यह दूसरा सूर्य ग्रहण विक्रम संवत 2076 में आषाढ़ मास की अमावस्या को लगेगा, जिसका प्रभाव ज्येष्ठा लग्न और वृश्चिक राशि में सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा।
  • भारतीय समय अनुसार यह ग्रहण सोमवार रात्रि में 19:03:55 बजे से शुरू होकर अगले दिन मंगलवार 00:23:03 बजे तक घटित होगा, जो अफ्रीका महाद्वीप का दक्षिणी भाग, साउथ अमेरिका का अधिकांश भाग, प्रशांत महासागरीय क्षेत्र, अटलांटिक तथा हिन्द महासागर और अंटार्टिका में ही नज़र आएगा।
  • भारत में इस ग्रहण की दृश्यता शून्य रहेगी इसलिए यहाँ इसका सूतक काल प्रभावी नहीं होगा।
  • बता दें कि पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य पूरी तरह चंद्रमा की छाया से ढक जाता है।

यहाँ पढ़ें: चंद्र ग्रहण 2020 का समय व उसकी तारीख़े।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण 2020

वैदिक शास्त्रों अनुसार अगर पहले सूर्य ग्रहण 2020 की ज्योतिषीय गणना को समझें तो, जहाँ वर्ष 2020 का पहला ग्रहण मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। वहीं वर्ष 2020 का दूसरा सूर्य ग्रहण ज्येष्ठा लग्न और वृश्चिक राशि में पड़ेगा। ऐसे में जिस भी राशियों और नक्षत्रों में सूर्य ग्रहण लगेंगे, उस राशि और नक्षत्रों से संबंधित हर जातक के जीवन पर भी इन ग्रहणों का सीधा-सीधा प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा सूर्य ग्रहण का अन्य सभी राशियों के जातकों पर भी अलग-अलग प्रकार से असर पड़ेगा।

ज्योतिष दृष्टि से सूर्य को आत्मा, पिता और राजा का कारकतत्व माना गया है। इसलिए सूर्य को सभी ग्रहों का प्रधान ग्रह भी कहा गया है। इसके साथ ही सूर्य कारक होता है सरकारी सेवा व उच्च अधिकार वाले पदों का। जिसे सिंह राशि का स्वामित्व प्राप्त है और ये मेष राशि में उच्च का, तो वहीं तुला राशि में नीच का होता है।

सूर्य ही वो मुख्य कारण है जिसके चलते पृथ्वी पर दिन और रात संभव होता है। इसके कारण ही धरती पर ऋतुएँ बदलती रहती हैं। हिन्दू ज्योतिष अनुसार जब भी सूर्य देव किसी भी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, वह समय उस जातक के लिए धार्मिक कार्यों की दृष्टि से बेहद ही शुभ समय होता है। ज्यादातर लोग इस दौरान अपनी आत्म शांति के लिए धार्मिक कार्यों का आयोजन कराते हुए सूर्य देव की उपासना करते हैं। हिन्दू पंचांग की गणना भी विभिन्न राशियों में सूर्य की चाल और स्थिति को देखकर ही की जाती है। चूँकि वैदिक पंचांग पाँच अंगों के योग से बनता है, जिसमें तिथि, नक्षत्र, करण, वार, योग शामिल होते हैं। ऐसे में तिथि की गणना भी एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक की अवधि को कहा जाता है। क्योंकि सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने के समयकाल को एक सौर माह कहा जाता है, जिसे सूर्य संक्रांति कहते हैं।

चूँकि राशिचक्र में 12 अलग-अलग राशियाँ होती हैं। अतः एक राशिचक्र को पूरा करने में सूर्य लगभग एक वर्ष यानी 365 दिनों का समय लेता है। सूर्य की एक सबसे ख़ास बात ये होती है कि वो सौर मंडल के अन्य सभी ग्रहों की तरह वक्री नहीं करता है। इस प्रकार सूर्य देव हमारे जीवन से अंधकार को खत्म पर उसे प्रकाशित करने का कार्य करते हैं। जिससे हम सदैव सकारात्मकता की ओर प्रेरित होते हैं। इसकी किरणें मनुष्यों के जीवन में आशा की किरणों की भाँती होती हैं। जिससे हम खुद को ऊर्जावान महसूस कर अपने सभी उद्देश्य को पूरा करने के लिए अनवरत रूप से कार्य करते रहते हैं

सौरमंडल में सूर्य का सबसे समीप ग्रह, बुध को बताया गया है और जातक की कुंडली में बुध के साथ सूर्य की युति बुधादित्य योग का निर्माण करती है। इस योग से व्यक्ति की तीक्ष्ण बौद्धिक शक्ति में वृद्धि तो होती ही है, साथ ही जातक इस योग से सरकारी सेवा में उच्च पद पर भी विराजमान हो जाता है।

विज्ञान अनुसार क्यों लगता सूर्य ग्रहण?

यूँ तो सूर्य ग्रहण एक बेहद अनोखी खगोलीय घटना है। जिसका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व चाहे जो भी हो, लेकिन वैज्ञानिक तर्क की बात करें तो, ये घटना उस स्थिति में बनती है जब सूर्य का चक्कर लगाते हुए चंद्रमा और पृथ्वी एक साथ सूर्य की सीध में पहुँच जाते हैं तो इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। चूँकि सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है, जिस कारण चन्द्रमा सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंचने देता हैं और ऐसे स्थिति में पृथ्वी से सूर्य दिखना बंद हो जाता है। जिसे हम सूर्य ग्रहण कहते हैं। इसमें यदि चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है तो यह पूर्ण सूर्य ग्रहण बनता है और यदि चन्द्रमा आंशिक रूप से सूर्य को ढकता है तो यह स्थिति आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाती है। वहीं ज्योतिष विज्ञान में ग्रहण की प्रक्रिया को छाया ग्रह राहु-केतु से जोड़ कर देखा जाता रहा है।

सूर्य ग्रहण का पौराणिक महत्व

एक सबसे प्रचलित पौराणिक मान्यता की मानें तो, ऐसा कहा जाता है कि जब देवता और असुरों में समुद्र मंथन हुआ तो, उस मंथन से निकले पवित्र अमृत को पाने के लिए देवताओं और असुरों में युद्ध हुआ है। जिसमें असुर, देवताओं से बलपूर्वक अमृत छीन पाने में कामयाब हो गए थे। जिस कारण असुरों को उस अमृतपान करने से रोकना था क्योंकि अगर असुर वह अमृत पी लेते तो समस्त सृष्टि का विनाश हो जाता। इसलिए असुरों को अमृत के सेवन से रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुंदर मोहिनी नामक एक नारी का रूप धारण किया।

मोहिनी ने अपने सुन्दर रूप से असुरों का मन मोह लिया और बेहद चालाकी से मोहिनी दानवों से अमृत ले पाने में कामयाब रही और उसे देवताओं में बांटने लगी। बताया जाता है कि भगवान विष्णु की इस चाल को असुर राहु नामक दैत्य समझ गया और उसने अमृतपान करने के लिए एक चाल चली। उस चाल के अनुसार राहु देवताओं के समूह में रूप बदलकर बैठ गया और अमृतपान करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करने लगा। लेकिन राहु की ये चाल चंद्रदेव और सूर्य देव में देख ली और फिर जैसे ही राहु ने अमृतपान किया, उसी समय चंद्र-सूर्य ने उसकी कलई खोल दी। जिसके बाद भगवान विष्णु ने क्रोधित होकर अपने सुदर्शन च्रक से राहु की गर्दन को उसके धड़ से अलग कर दिया।

माना जाता है कि चूँकि राहु ने अमृत पी लिया था, इसलिए उसकी मृत्यु नहीं हुई और इस घटना के बाद उसका सिर राहु व धड़ केतु कहलाया। जिसके बाद दोनों को आकाश मंडल में छाया ग्रह का स्थान दिया गया और तभी से मान्यता है कि राहु और केतु सूर्य-चंद्र से अपने उसी बैर के कारण उन्हें हर साल ग्रहण के रूप में शापित करते हैं।

सूतक काल के दौरान ज़रूर बरते ये सावधानियाँ

शास्त्रों अनुसार ग्रहण लगना एक प्रकार का दोष होता है और हर दोष की तरह ही इस दोष का भी परिणाम नकारात्मक ही बताया गया है। ऐसे में ग्रहण काल में लगने वाले सूतक का महत्व धार्मिक दृष्टि से बेहद बढ़ जाता है। क्योंकि माना गया है कि ग्रहण का सूतक लग जाने के बाद उस समय कई कार्य को करना वर्जित होता है। विज्ञान अनुसार भी सूर्य ग्रहण को नग्न आँखों से देखना मना होता है। हालाँकि ग्रहण के दोष से बचने के लिए शास्त्रों में ऐसे भी कई कार्य बताए गए हैं जो हमे सूतक के दौरान करना अनिवार्य होता है। ज्यादातर इसमें पूजा कर्म हैं। सूतक के दौरान कुछ विशेष सावधानियाँ बरतने की सलाह दी जाती है। जैसे:--

  • सूर्य ग्रहण के सूतक लग जाने के बाद से, ग्रहण के खत्म होने तक किसी भी नये कार्य का शुभारंभ नहीं करना चाहिए। क्योंकि माना जाता है कि यह अवधि नए कार्य के लिए बेहद अशुभ होती है, ऐसे में इस दौरान आप भी बेहद सतर्क रहें।
  • ग्रहण काल से पहले बने भोजन में तुलसी के पत्ते डाल दें।
  • सूतक काल के समय भोजन बनाना और खाना दोनों ही वर्जित होता है। इसलिए यदि सूतक लग जाए तो आप भी इन कार्यों को करने से परहेज करें।
  • सूतककाल के दौरान मल-मूत्र और शौच जाने की भी मनाही होती है। इसलिए इस अवधि के दौरान इन कार्यों को करने से बचें। हालांकि आप ये कार्य सूतककाल से पहले या उसके खत्म होने के बाद कर सकते हैं।
  • धार्मिक दृष्टि से सूतककाल के दौरान मूर्ति स्पर्श करना बेहद अशुभ होता है।
  • इस दौरान तुलसी के पौधे का स्पर्श भी न करें।
  • सूतक काल के समय दाँतों की सफ़ाई और बालों में कंघी करने से बचें।

सूर्य ग्रहण 2020 के समय रखें इन बातों का ध्यान

सूतक काल की तरह ही सूर्य ग्रहण के दौरान भी कुछ ऐसे कार्य बताए गए हैं जिनका पालन करने से आप ग्रहण दोष के प्रभाव को शून्य या फिर बेहद काम कर सकते हैं। ये कार्य एक प्रकार से ग्रहण के वो महाउपाय होते हैं जिनकी सहायता से जातक अपना व अपने परिवार का ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचाव कर सकता है। ये कार्य इस प्रकार हैं -

  • ग्रहण से पूर्व स्नान अवश्य करें, मध्य में हवन व पूजा-पाठ और ग्रहण की समाप्ति पर दान पुण्य करें।
  • ग्रहण के दौरान किसी भी देवी-देवताओं की मूर्ति और तुलसी के पौधे का स्पर्श न करें।
  • ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान के बाद, तुरंत भगवान की मूर्तियों को स्नान कराए अथवा गंगाजल का छिड़काव कर उसे शुद्ध करें और फिर उसकी पूजा करें।
  • ग्रहण काल समाप्त होने के बाद ताज़ा भोजन ही करें।
  • सूर्य ग्रहण के घटित होने से पहले दूध-दही और बने हुए भोजन में तुलसी के पत्ते डाल दें। ऐसा करने से इन पदार्थों पर ग्रहण का असर नहीं होता है।
  • ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
  • ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
  • इस समय उन्हें किसी भी प्रकार से काटने, छीलने के लिए सुई, कैंची, चाकू आदि का उपयोग करने से बचना चाहिए।

सूर्य ग्रहण के समय इस मंत्र का जप करें

"ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ”

सूर्य ग्रहण समाप्त हो जाने पर अवश्य करें ये कार्य

  • ग्रहण समाप्त हो जाने पर घर को शुद्ध करें। इसके लिए घर के मुख्य द्वार पर गंगाजल का छिड़काव करें अथवा गाय के गोबर से घर में पोछा लगाएँ।
  • ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें और देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी स्नान कराकर उनका गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
  • ग्रहण काल समाप्ति पर केवल ताजा भोजन ही बनाएँ और उसे ग्रहण करें। यदि पहले से ही भोजन बनाकर रखा है तो उसमें तुलसी की पत्ती डालकर उसे शुद्ध करें।
  • ग्रहण के बाद ईश्वर की आराधना, ध्यान और व्यायाम करते हुए दान-पुण्य करें।
  • ग्रहण के बाद सूर्य से संबंधित मंत्रों का उच्चारण करते हुए सूर्य देव की आराधना करें।

सूर्य ग्रहण के समय गर्भवती महिलाएं रखें ख़ास ध्यान

हिन्दू शास्त्रों अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष तौर पर सबसे ज़्यादा सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे:-

  • ग्रहण काल से पहले और सूतक लगने के बाद से ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने या ग्रहण देखने से बचना चाहिए।
  • सूतक काल से ही उसकी समाप्ति तक गर्भवती महिलाओं को चाकू और सुई का उपयोग जैसे सिलाई, कढ़ाई, काटने और छीलने का कार्य नहीं करना चाहिए। अन्यथा ऐसा करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों को क्षति पहुंच सकती है।
  • ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को सोना और खाना नहीं चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल के दौरान सूर्य ग्रहण से संबंधित मन्त्रों का उच्चारण करना चाहिए।

निष्कर्ष:- जिस प्रकार विज्ञान सूर्य ग्रहण को केवल एक खगोलीय अदभुद घटना समझता है तो वहीं हिन्दू धर्म और ज्योतिष दृष्टि से सूर्य ग्रहण को किसी भी प्रकार की खगोलीय घटना से बिलकुल अलग परिस्थितियों के परिवर्तन के रूप में देखा जाता रहा है। यही कारण है कि अलग-अलग ग्रहणों का प्रभाव न केवल प्रकृति में कई छोटे-बड़े बदलाव लाता हैं बल्कि उन बदलावों का असर भी आमतौर पर सबसे ज़्यादा मानव समुदाय पर ही पड़ता है। शायद इसलिए ही सूर्य ग्रहण और उसके सूतक काल में उससे जुड़े नियमों का पालन करने और उससे जुड़े उपाय करने की सलाह दी जाती रही है।

हमें उम्मीद है कि वर्ष 2020 के सूर्य ग्रहण से संबंधित हमारा ये लेख आपको पसंद आया होगा। इस लेख को पसंद करने एवं पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद ! आप अपनी राय हमे नीचे कमेंट कर दे सकते हैं।