गृह प्रवेश मुहूर्त 2019

पढ़ें वर्ष 2019 में पड़ने वाले गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त और जानें किस तारीख, तिथि, वार और शुभ नक्षत्र में करें गृह प्रवेश का कार्य। इसके अलावा जानें गृह प्रवेश से जुड़े ज्योतिषीय तथ्य और सावधानियाँ।

 गृह प्रवेश मुहूर्त 2019

गृह प्रवेश मुहूर्त 2019
दिनाँक दिन तिथि नक्षत्र समय
21 जनवरी 2019 सोमवार पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र में 10:46 - 26:27 बजे तक
24 जनवरी 2019 गुरुवार चतुर्थी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 20:54 - 31:13 बजे तक
25 जनवरी 2019 शुक्रवार पंचमी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 07:13 - 16:25 बजे तक
26 जनवरी 2019 शनिवार षष्ठी हस्ता नक्षत्र में 15:04 - 31:12 बजे तक
28 जनवरी 2019 सोमवार अष्टमी स्वाति नक्षत्र में 07:12 - 14:28 बजे तक
30 जनवरी 2019 बुधवार दशमी अनुराधा नक्षत्र में 15:38 - 16:40 बजे तक
06 फरवरी 2019 बुधवार द्वितीया धनिष्ठा नक्षत्र में 07:07 - 31:06 बजे तक
07 फरवरी 2019 गुरुवार द्वितीया शतभिषा नक्षत्र में 07:06 - 12:09 बजे तक
09 फरवरी 2019 शनिवार चतुर्थी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 12:26 - 31:04 बजे तक
15 फरवरी 2019 शुक्रवार दशमी मृगशिरा नक्षत्र में 07:27 - 20:52 बजे तक
20 फरवरी 2019 बुधवार प्रतिपदा मघा नक्षत्र में 29:04 - 30:55 बजे तक
21 फरवरी 2019 गुरुवार द्वितीया उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 06:55 - 23:11 बजे तक
23 फरवरी 2019 शनिवार चतुर्थी चित्रा नक्षत्र में 08:11 - 30:52 बजे तक
25 फरवरी 2019 सोमवार सप्तमी विशाखा नक्षत्र में 22:08 - 30:50 बजे तक
02 मार्च 2019 शनिवार एकादशी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 11:30 - 30:45 बजे तक
04 मार्च 2019 सोमवार त्रयोदशी श्रवण नक्षत्र में 12:10 - 16:29 बजे तक
07 मार्च 2019 गुरुवार प्रतिपदा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 20:54 - 30:40 बजे तक
08 मार्च 2019 शुक्रवार द्वितीया उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:40 - 30:38 बजे तक
09 मार्च 2019 शनिवार तृतीया रेवती नक्षत्र में 06:38 - 21:39 बजे तक
13 मार्च 2019 बुधवार सप्तमी रोहिणी नक्षत्र में 06:34 - 28:23 बजे तक
16 मार्च 2019 शनिवार दशमी पुनर्वसु नक्षत्र में 26:13 - 28:31 बजे तक
20 मार्च 2019 बुधवार चतुर्दशी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 20:58 - 30:25 बजे तक
21 मार्च 2019 गुरुवार पूर्णिमा उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 06:25 - 07:13 बजे तक
19 अप्रैल 2019 शुक्रवार पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में 16:42 - 29:51 बजे तक
20 अप्रैल 2019 शनिवार प्रतिपदा स्वाति नक्षत्र में 05:51 - 17:58 बजे तक
25 अप्रैल 2019 गुरुवार षष्ठी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 25:39 - 29:45 बजे तक
26 अप्रैल 2019 शुक्रवार सप्तमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 05:45 - 23:14 बजे तक
29 अप्रैल 2019 सोमवार दशमी शतभिषा नक्षत्र में 08:02 - 29:42 बजे तक
02 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:42 - 27:21 बजे तक
06 मई 2019 सोमवार द्वितीया रोहिणी नक्षत्र में 16:36 - 29:36 बजे तक
10 मई 2019 शुक्रवार षष्ठी पुनर्वसु नक्षत्र में 14:21 - 29:33 बजे तक
11 मई 2019 शनिवार सप्तमी पुष्य नक्षत्र में 05:33 - 13:13 बजे तक
16 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी चित्रा नक्षत्र में 05:42 - 20:20 बजे तक
18 मई 2019 शनिवार पूर्णिमा विशाखा नक्षत्र में 26:22 - 26:41 बजे तक
23 मई 2019 गुरुवार पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 05:27 - 23:48 बजे तक
25 मई 2019 शनिवार सप्तमी श्रवण नक्षत्र में 19:36 - 23:43 बजे तक
29 मई 2019 बुधवार दशमी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 15:21 - 28:04 बजे तक
30 मई 2019 गुरुवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 05:24 - 22:15 बजे तक
03 जून 2019 सोमवार पूर्णिमा रोहिणी नक्षत्र में 15:32 - 26:48 बजे तक
07 जून 2019 शुक्रवार चतुर्थी पुष्य नक्षत्र में 07:38 - 18:56 बजे तक
10 जून 2019 सोमवार अष्टमी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 14:21 - 22:24 बजे तक
12 जून 2019 बुधवार दशमी चित्रा नक्षत्र में 11:51 - 27:37 बजे तक
13 जून 2019 गुरुवार एकादशी चित्रा नक्षत्र में 16:49 - 28:07 बजे तक
14 जून 2019 शुक्रवार द्वादशी स्वाति नक्षत्र में 05:23 - 10:16 बजे तक
18 जुलाई 2019 गुरुवार द्वितीया श्रवण नक्षत्र में 25:34 - 29:35 बजे तक
19 जुलाई 2019 शुक्रवार द्वितीया धनिष्ठा नक्षत्र में 05:35 - 20:03 बजे तक
22 जुलाई 2019 सोमवार पंचमी पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 10:24 - 29:37 बजे तक
24 जुलाई 2019 बुधवार सप्तमी रेवती नक्षत्र में 05:38 - 14:54 बजे तक
27 जुलाई 2019 शनिवार दशमी कृतिका नक्षत्र में 19:46 - 28:45 बजे तक
29 जुलाई 2019 सोमवार द्वादशी मृगशिरा नक्षत्र में 08:00 - 18:22 बजे तक
01 अगस्त 2019 गुरुवार पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र में 08:42 - 12:11 बजे तक
05 अगस्त 2019 सोमवार पंचमी हस्ता नक्षत्र में 23:47 - 29:45 बजे तक
07 अगस्त 2019 बुधवार सप्तमी स्वाति नक्षत्र में 05:46 - 11:41 बजे तक
09 अगस्त 2019 शुक्रवार नवमी अनुराधा नक्षत्र में 10:00 - 21:58 बजे तक
12 अगस्त 2019 सोमवार द्वादशी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 26:51 - 29:49 बजे तक
15 अगस्त 2019 गुरुवार पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र में 08:02 - 15:59 बजे तक
14 अक्टूबर 2019 सोमवार प्रतिपदा रेवती नक्षत्र में 06:21 - 09:32 बजे तक
18 अक्टूबर 2019 शुक्रवार चतुर्थी रोहिणी नक्षत्र में 07:29 - 27:22 बजे तक
19 अक्टूबर 2019 शनिवार पंचमी मृगशिरा नक्षत्र में 14:45 - 17:40 बजे तक
21 अक्टूबर 2019 सोमवार सप्तमी पुनर्वसु नक्षत्र में 17:32 - 29:25 बजे तक
25 अक्टूबर 2019 शुक्रवार द्वादशी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 11:00 - 30:03 बजे तक
28 अक्टूबर 2019 सोमवार पूर्णिमा स्वाति नक्षत्र में 09:08 - 25:00 बजे तक
30 अक्टूबर 2019 बुधवार तृतीया अनुराधा नक्षत्र में 06:32 - 21:59 बजे तक
02 नवंबर 2019 शनिवार षष्ठी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 23:01 - 30:23 बजे तक
04 नवंबर 2019 सोमवार अष्टमी श्रवण नक्षत्र में 27:23 - 28:57 बजे तक
06 नवंबर 2019 बुधवार नवमी धनिष्ठा नक्षत्र में 07:21 - 30:37 बजे तक
07 नवंबर 2019 गुरुवार दशमी शतभिषा नक्षत्र में 06:37 - 08:41 बजे तक
08 नवंबर 2019 शुक्रवार एकादशी पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 12:24 - 30:39 बजे तक
09 नवंबर 2019 शनिवार द्वादशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:39 - 30:40 बजे तक
13 नवंबर 2019 बुधवार प्रतिपदा कृतिका नक्षत्र में 22:00 - 30:43 बजे तक
14 नवंबर 2019 गुरुवार द्वितीया रोहिणी नक्षत्र में 06:43 - 30:44 बजे तक
15 नवंबर 2019 शुक्रवार तृतीया मृगशिरा नक्षत्र में 06:44 - 07:53 बजे तक
18 नवंबर 2019 सोमवार षष्ठी पुष्य नक्षत्र में 06:46 - 17:10 बजे तक
21 नवंबर 2019 गुरुवार दशमी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 18:29 - 22:17 बजे तक
22 नवंबर 2019 शुक्रवार एकादशी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 09:01 - 16:41 बजे तक
23 नवंबर 2019 शनिवार द्वादशी हस्ता नक्षत्र में 14:44 - 30:51 बजे तक
27 नवंबर 2019 बुधवार प्रतिपदा अनुराधा नक्षत्र में 06:53 - 08:12 बजे तक
30 नवंबर 2019 शनिवार पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 18:05 - 23:14 बजे तक
02 दिसंबर 2019 सोमवार षष्ठी श्रवण नक्षत्र में 11:43 - 30:58 बजे तक
04 दिसंबर 2019 बुधवार अष्टमी शतभिषा नक्षत्र में 12:28 - 17:09 बजे तक
05 दिसंबर 2019 गुरुवार नवमी पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 28:15 - 31:00 बजे तक
06 दिसंबर 2019 शुक्रवार दशमी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 07:00 - 16:30 बजे तक
07 दिसंबर 2019 शनिवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 17:03 - 19:35 बजे तक
11 दिसंबर 2019 बुधवार चतुर्दशी कृतिका नक्षत्र में 22:54 - 31:04 बजे तक
12 दिसंबर 2019 गुरुवार प्रतिपदा मृगशिरा नक्षत्र में 07:04 - 10:42 बजे तक
27 दिसंबर 2019 शुक्रवार प्रतिपदा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 17:30 - 31:13 बजे तक
28 दिसंबर 2019 शनिवार द्वितीया उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 07:13 - 18:43 बजे तक
30 दिसंबर 2019 सोमवार चतुर्थी धनिष्ठा नक्षत्र में 13:55 - 31:14 बजे तक
गृह प्रवेश मुहूर्त 2019 (पुराने घर में प्रवेश के लिए)
दिनाँक दिन तिथि नक्षत्र समय
26 जनवरी 2019 शनिवार षष्ठी हस्ता नक्षत्र में 15:04 - 31:12 बजे तक
30 जनवरी 2019 बुधवार दशमी अनुराधा नक्षत्र में 15:38 - 16:40 बजे तक
19 अप्रैल 2019 शुक्रवार पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में 16:42 - 19:29 बजे तक
02 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:42 - 27:21 बजे तक
06 मई 2019 सोमवार द्वितीया कृतिका नक्षत्र में 16:36 - 19:36 बजे तक
16 मई 2019 गुरुवार द्वादशी हस्ता नक्षत्र में 05:42 - 20:20 बजे तक
18 मई 2019 शनिवार पूर्णिमा विशाखा नक्षत्र में 26:22 - 26:41 बजे तक
23 मई 2019 गुरुवार पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 05:27 - 23:48 बजे तक
29 मई 2019 बुधवार दशमी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 15:21 - 28:04 बजे तक
30 मई 2019 गुरुवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 05:24 - 22:15 बजे तक
03 जून 2019 सोमवार पूर्णिमा रोहिणी नक्षत्र में 15:32 - 26:48 बजे तक
10 जून 2019 सोमवार अष्टमी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 14:21 - 22:24 बजे तक
13 जून 2019 गुरुवार एकादशी चित्रा नक्षत्र में 11:51 - 27:37 बजे तक

गृह प्रवेश

हर व्यक्ति का सपना होता है कि वह अपना घर बनाए और उसमें अपने परिवार के साथ हंसी-खुशी से रहें। लेकिन दुर्भाग्यवश कई लोग अपने नए घर में चले तो जाते है लेकिन फिर उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं परेशानियों से बचने के लिए हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि यदि सही मुहूर्त में अपने नए घर में प्रवेश किया जाए तो उसका किसी पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है और सब मंगल ही मंगल होता है। गृह प्रवेश की गणना पंचांग शुद्धि के आधार पर की जाती है। आज हम आपको बताएंगे कि गृह प्रवेश मुहूर्त क्या होता है और इसके क्या लाभ हैं।

क्या है गृह प्रवेश मुहूर्त?

जब भी कोई व्यक्ति पहली बार अपने नए घर में प्रवेश करने से पहले पंड़ित जी द्वारा बताए समय पर पूजा पाठ आदि कराता है उसे गृह प्रवेश कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि मुहूर्त के अनुसार गृह प्रवेश करने से घर की सारी नकारात्मक ताकतें और प्रतिकूल प्रभाव दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि और खुशी का वास होता है। इसलिए लोग बताए गए मुहूर्त में ही गृह प्रवेश करते हैं। पंडितों का ऐसा मानना है कि गृह प्रवेश के लिए उत्तराभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, रोहणी, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा और रेवती नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ होते हैं। इसके अलावा सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को सर्वाधिक शुभ दिन माना जाता है।

गृह प्रवेश के लाभ और महत्व

नए घर में प्रवेश करने के बाद सब कुछ अनुकूल और सकारात्मक हो इसलिए लोग गृह प्रवेश कराते हैं। वास्तु शास्त्र का मनुष्य के जीवन पर बहुत गहरा महत्व पड़ता है। चाहे कोई व्यक्ति अमीर हो या गरीब हो, वास्तु हर किसी के जीवन पर प्रभाव डालता है। असल में वास्तु घर आदि के निर्माण करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है। जिन लोगों के घर में बेवजह झगड़े, क्लेश और नकारात्मकता फैली होती है असल में उसके पीछे की वजह वास्तु दोष हो सकती है। घर में फैली इन बुरी ताकतों को खत्म करने के लिए ही लोग वास्तु दोष को खत्म करने के लिए ज्योतिषी, वास्तु शास्त्र के विद्वानों की सलाह लेते हैं और हवन व पूजा-पाठ आदि कराते हैं। गृह प्रवेश कराने से पहले शुभ मुहूर्त, दिन, वार, तिथि और नक्षत्र की गणना करते हुए गृह प्रवेश की तिथि और समय का निर्धारण किया जाता है। गृह प्रवेश के दौरान विद्वान ब्राह्मण पूरे विधि विधान के साथ पूजा करते हैं। पूजा में दंपति बैठते हैं। हवन के समय पंड़ित जी जिन मंत्रो का जाप करते हैं उससे घर की सारी बुरी ताकतें और नकारात्मक प्रभाव दूर चले जाते हैं और घर में खुशियों का वास होता है।

गृह प्रवेश मुहूर्त की क्या आवश्यकता है?

  • गृह प्रवेश मुहूर्त के अनुसार नहीं करने से घर में मौजूद लोगों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण हमेशा कोई न कोई बीमारी से ग्रसित रहता है।
  • गृह प्रवेश के दौरान मुहूर्त को नजरअंदाज कराने से घर में कई दोष पैदा हो सकते हैं और उस घर में बरकत भी नहीं होती है, इसलिए लोग मुहूर्त को महत्व देते हैं।
  • पैसा आने के बावजूद घर में न​ टिकना, बिना वजह खर्चों का बढ़ना और घर में लड़ाई झगड़ा होना गृह प्रवेश मुहूर्त पर नहीं कराने के लक्षण माने जाते हैं।
  • ऐसा भी माना जाता है कि जो लोग मुहूर्त के अंर्तगत गृह प्रवेश नहीं कराते हैं उसके घर में बुरी शक्तियों का वास होता है।

गृह प्रवेश मुहूर्त की गणना में ज्योतिषीय तथ्य

ज्योतिष शास्त्र कहता है कि नए घर में गृह प्रवेश के लिए पहले से ही शुभ तारीख और समय का पता होना बहुत जरूरी है। ज्योतिषशास्त्री कहते हैं कि शास्त्रों और पंचांगों की गणना करके निकाला गया कालखंड ‘मुहूर्त’ कहलाता है। दिन व रात मिलाकर 24 घंटे के समय में, दिन में 15 व रात्रि में 15 मुहूर्त मिलाकर कुल 30 मुहूर्त होते हैं अर्थात् एक मुहूर्त 48 मिनट (2 घटी) का होता है। भारत में शुभ व अशुभ दो प्रकार के मुहूर्त प्रचलित हैं। व्यक्ति को शुभ मुहूर्त में ही अपने काम सम्पन्न करने चाहिए।

गृह प्रवेश कराते वक्त क्या करें और क्या न करें?

ये कार्य अवश्य करें

  • गृह प्रवेश के समय वास्तु पुरुष, घर के इष्ट देवता और अन्य देवी-देवताओं की पूजा जरूर करें।
  • घर के मुख्य द्वार पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश के पैरों के निशान बने होने चाहिए।
  • घर के मंदिर को उत्तर-पूर्व दिशा में गृह प्रवेश वाले दिन ही स्थापित करना चाहिए।
  • घर में प्रवेश करते वक्त पहले दाहिना पैर रखें।
  • इस दिन ब्राह्मण द्वारा हवन करना और उसके बाद उन्हें भोजन करना बहुत शुभ माना जाता है।

ये कार्य बिल्कुल न करें

  • जब तक घर में पेंट, फर्श आदि का काम पूरा न हो जाए प्रवेश नहीं करना चाहिए।
  • गृह प्रवेश वाले दिन ऐसे चूल्हे पर भूलकर भी खाना न बनाएं जिसमें पहले कभी मांसाहारी भोजन पका हो।
  • कुछ लोग हवन संपन्न होने के बाद प्रसाद को पड़ोस में बांटने में शर्म महसूस करते हैं, जबकि ज्योतिषशास्त्री कहते हैं कि प्रसाद को सबमें बांटने से खुशियों में बढ़ोत्तरी होती।
  • पूजा संपन्न होने के बाद घर के बड़ों का आर्शीवाद लेना न भूलें।

हम आशा करते हैं कि गृह प्रवेश पर आधारित यह लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो। हिन्दी कुंडली पर विज़िट करने के लिए धन्यवाद!